Ayodhiya Ram Mandir 2025: Ayodhiya ram mandir: आयोधिया राम मंदिर को लेकर निपेन्द्र मिश्रा ने दी बड़ी जानकारी
भूमि परिसर के परकोटे में भगवान शिव के मंदिर की स्थापना की तैयारी जोरों पर है। 31 मई 2025 को इस मंदिर में नर्मदा नदी से प्राप्त 600 किलोग्राम वजनी नर्मदेश्वर शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। यह आयोजन राम मंदिर निर्माण की धार्मिक परंपराओं को और सशक्त करने वाला एक दिव्य अवसर होगा। इस बात की जानकारी आयोधिया पहुचे भवन निर्माण समिति अधीयक्षक निपेन्द्र मिश्रा ने दी
नर्मदेश्वर शिवलिंग की विशेषता
यह शिवलिंग मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर से लाया गया है और इसकी ऊंचाई लगभग 4 फीट है। इसका निर्माण नर्मदा नदी की तलहटी से प्राप्त विशेष शिला से किया गया है, जिसे संत नर्मदानंद बापजी के मार्गदर्शन में तैयार किया गया। शिवलिंग का रंग मधु कलर है और इसमें कोई भी स्क्रैच नहीं है, जो इसे विशेष बनाता है। इसका निर्माण कार्य तीन महीने में पूरा किया गया।
परकोटा में छह मंदिरों की स्थापना
राम मंदिर के चारों ओर 800 मीटर की परिधि में परकोटे का निर्माण कराया जा रहा है, जिसमें छह अलग-अलग देवी-देवताओं के मंदिर बनाए जा रहे हैं। इनमें भगवान शिव का मंदिर उत्तर और पूर्व के कोने पर स्थित होगा। इसके अलावा, गणेश जी का मंदिर पश्चिम और दक्षिण के कोने पर, भगवान सूर्य का मंदिर दक्षिण और पश्चिम के कोने पर, मां जगदंबा का मंदिर पश्चिम और उत्तर के कोने पर, हनुमान जी का मंदिर दक्षिण भुजा पर, जबकि माता अन्नपूर्णा का मंदिर उत्तरी भुजा पर बनाया जा रहा है।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां
31 मई को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए अयोध्या नगरी उत्सव की तैयारियों में व्यस्त है। शहर को सजाया जा रहा है और भक्तों के स्वागत की योजनाएं बनाई जा रही हैं। लाखों श्रद्धालुओं के अयोध्या पहुंचने की संभावना है, जिसके मद्देनज़र सुरक्षा और यातायात प्रबंधन की भी विशेष व्यवस्था की जा रही है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
राम मंदिर परिसर में शिवलिंग की स्थापना हिन्दू धर्म में शिव और राम के बीच के आध्यात्मिक संबंध को दर्शाती है। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन के लिहाज से भी अयोध्या को नई पहचान देगा। सरकार का लक्ष्य है कि यह मंदिर संपूर्ण भारत के लिए एकता और श्रद्धा का प्रतीक बने।
इस ऐतिहासिक आयोजन के माध्यम से अयोध्या एक बार फिर से भारत की आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बनने जा रही है।