“Nag Panchami 2025: नाग देवता की पूजा क्यों है खास? जानिए पूजा विधि, व्रत कथा और शिव से जुड़ा रहस्य”
हिंदू धर्म में नाग पंचमी एक अत्यंत पावन और धार्मिक पर्व माना जाता है, जो श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में नाग पंचमी 29 जुलाई मंगलवार को मनाई जाएगी। यह दिन नाग देवताओं की पूजा-अर्चना और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने का अवसर है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत, महाराष्ट्र, बंगाल और दक्षिण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है।
नाग पंचमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
पर्व तिथि: मंगलवार, 29 जुलाई 2025
पंचमी तिथि आरंभ: 28 जुलाई 2025 को रात्रि 11:55 बजे
पंचमी तिथि समाप्त: 30 जुलाई 2025 को रात्रि 01:30 बजे
पूजा मुहूर्त (श्रावण काल):
सुबह: 06:15 AM से 08:30 AM
दोपहर: 12:10 PM से 01:45 PM
सर्पदोष निवारण पूजा का उत्तम समय: राहुकाल से पहले
नाग पंचमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
1. सर्पों की पूजा का प्रतीक: हिंदू धर्म में नागों को धार्मिक शक्तियों का प्रतीक माना गया है। शेषनाग, वासुकी, तक्षक, अनंत जैसे नाग देवताओं का स्थान देवताओं में भी उच्च है।
2. पर्यावरण संरक्षण का संदेश: यह पर्व हमें पर्यावरण और जीव-जंतुओं की रक्षा का संदेश देता है। सांपों की पूजा कर हम जैव विविधता के प्रति आदर प्रकट करते हैं।
3. कुंडली दोष निवारण: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में कालसर्प दोष या सर्पदोष होता है, उन्हें नाग पंचमी पर विशेष पूजा करनी चाहिए। इससे दोष का शमन होता है और जीवन में उन्नति आती है।
4. भगवान शिव का संबंध: भगवान शिव की ग्रीवा (गले) में वासुकी नाग विराजमान हैं। अतः नाग पंचमी पर शिव पूजा का भी विशेष महत्व है।
नाग पंचमी की पूजा विधि (Pooja Vidhi)
पूजा की तैयारी:
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
घर के आंगन या मंदिर में नाग देवता की प्रतिमा या चित्र बनाएं।
चांदी, पीतल या मिट्टी के नाग की मूर्ति का उपयोग भी कर सकते हैं।
पूजा स्थल को गोबर और गंगाजल से शुद्ध करें।
पूजा सामग्री:
दूध, दही, हल्दी, कुंकुम, चंदन
पुष्प (विशेषकर नागचंपा या नागकेसर)
दूर्वा घास, केसर
मिठाई, फल, नारियल
दीपक, अगरबत्ती, अक्षत, पंचामृत
पूजा विधि:
1. पंचामृत से नाग प्रतिमा को स्नान कराएं।
2. नाग देवता को दूध चढ़ाएं और पुष्प अर्पित करें।
3. “ॐ नमः सर्पाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
4. नाग देवता की कथा सुनें।
5. सर्पदोष निवारण के लिए शिवलिंग पर जल व दूध चढ़ाएं।
6. अंत में नाग देवता से अपने और परिवार के लिए सुख, शांति और सुरक्षा की प्रार्थना करें।
नाग पंचमी की प्रमुख कथा (Nag Panchami Vrat Katha)प्राचीन समय की बात है, एक ब्राह्मण का पुत्र बाल्यकाल में ही सर्पदंश से मारा गया। ब्राह्मण दंपति ने नाग पंचमी का व्रत करके नागराज से प्रार्थना की। उनके सच्चे श्रद्धा और भक्ति से प्रसन्न होकर नागराज ने उनके पुत्र को जीवनदान दिया।
दूसरी कथा – राजा जनमेजय की कथा:
राजा परीक्षित को तक्षक नाग ने डंसा था, जिससे उनकी मृत्यु हुई। उनके पुत्र जनमेजय ने बदले की भावना से सर्प यज्ञ (सर्प मेध यज्ञ) किया, जिसमें सभी सर्प जलने लगे। तब आस्तिक मुनि ने इस यज्ञ को रोक दिया। उसी दिन को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
नाग पंचमी के दौरान क्या करें और क्या न करें?
व्रत रखें और सात्विक भोजन करें।
दूध से नाग देवता को स्नान कराएं।
घर के दरवाजे या दीवार पर नाग चित्र बनाएं।
शिवजी की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है।
न करें:
जमीन की खुदाई, पेड़-पौधे काटना वर्जित है।
दूध को उबालकर नहीं चढ़ाना चाहिए।
चमड़े की चीजों का उपयोग न करें।
सर्पों को नुकसान न पहुंचाएं।
नाग पंचमी पर विशेष उपाय और टोटके
1. सर्प दोष निवारण के लिए नाग मंदिर में दूध चढ़ाएं और “ॐ नागदेवाय नमः” का जाप करें।काले तिल और जल शिवलिंग पर चढ़ाएं।
2. शत्रु बाधा दूर करने हेतु:नाग पंचमी को काले कपड़े में 7 नाग-नागिन की मिट्टी की मूर्तियां लपेट कर नदी में बहाएं।
3. धन प्राप्ति के लिए: नाग मंदिर में चांदी के नाग-नागिन चढ़ाएं और अगले वर्ष उसे घर में लाकर तिजोरी में रखें।
नाग पंचमी का सांस्कृतिक महत्व
महाराष्ट्र और कर्नाटक में नाग पंचमी को हल (हल चलाना) निषिद्ध होता है, ताकि ज़मीन में रहने वाले नागों को हानि न पहुंचे।
बिहार में नाग पूजन विशेष ढंग से मनाया जाता है, जहां लड़कियाँ दीवार पर नाग बनाकर पूजा करती हैं।
राजस्थान में नाग पंचमी पर विशेष झांकियाँ और मेले लगते हैं।
नागों के प्रमुख नाम और महत्व
हिंदू धर्म में 8 प्रमुख नागों का वर्णन मिलता है:
1. अनंत
2. वासुकी
3. शेष
4. पद्म
5. महापद्म
6. तक्षक
7. कुलिक
8. कार्कोटक
इनके स्मरण मात्र से ही पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति है