Goolgapp bachne se ISRO Tak ka safar

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गोंदिय जिले के ग्राम खेरबोडी नंद नगर में रहने वाला रामदास हेमराज मरबंदे ने साबित कर दिया कि सबका बड़ा हो या छोटा रास्ते खुद बनाते हैं साधारण ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले हेमराज का सपना था-इसरो काम करने का

  1. गरीबी संघर्ष और भूख जो मिटा नहीं पाई सपने को:-रामदास के पिता चपरासी थे और उनकी माता एक ग्रहणी आर्थिक तंगी के कारण रामदास ने दिन में गोलगप्पे बेचे और रात में पढ़ाई की। रामदास ने 12वीं के बाद BA प्राइवेटमोड़ से और उसके साथ ही ITI पंप ऑपरेटर कम मैकेनिक कोर्स भी किया

इसरो का सपना जो बना जुनून: ITI के दौरान उन्होंने पंपसिस्टम रिसिप्रोकिंग, तेल गैस की मरम्मत जल उपचार जैसे तकनीकी उपकरणोंक ट्रेंनिंग ली गांव के हालातो से ऊपर थे रामदास ने , दूसरों में नौकरी पानेे का लक्ष्य तय किया-और उसी के साथ जुनून से तैयारी शुरू की

जब सपना हुआ साकार:2023 में इसरों ने अप्रेंटिस ट्रेनिंग के लिए भर्तीया निकली रामदास ने आवेदन किया नागपुर से रिटर्न टेस्ट पार किया फिर श्रीहरिकोटा जाकर स्किल टेस्ट भी क्लियर किया 29 अगस्त 2024 मे इन्होंने परीक्षा दी और 19 मई 2024 में इन्हें जॉइनिंग लेटर मिला आज रामदास इसरो के हरिकोटा सेंटर में पंप  कम ऑपरेटर के रूप मे कार्यरत है और रिसर्च कार्यों म योगदान दे रहे हैं उनकी सफलता में गांव जिला और पूरा प्रदेश खुशी से झूम उठा

गोलगप्पे से इसरो तक का सफर तय करने वाले रामदास की स्टोरी सभी युवा के दिलों छू जाएगी और अपने सपने पूरे करने की हिम्मत देगी

 

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